( तसल्लियों के इतने साल बाद अपने हाल पर
निगाह डाल
सोच और सोचकर सवाल कर....)
एक कन्हैया से इतने सवाल जवाब? पता
नहीं कौन कौन कन्हैया से क्या क्या सवाल कर रहा है और किस किस के जवाब मांग रहा है । लगातार वाटस एप पर गंदी और घटिया भाषा के साथ तथाकथित देशभक्त सवाल कर रहे हैं । गालियां दे रहे हैं..... कोई तो
जीभ काट लेने तक की बात कर रहा है..... आखिर वे इतने विचलित क्यों हो गए ? क्यों
लगने लगा ख़तरा ,ऐसा क्या हुआ कि पूरा तंत्र हिल
गया । दरअसल ये इनकी बोखलाहट का परिचायक है
खिसियानी बिल्ली खम्बा
नोचे ।
वैसे इन्हें जवाब देने की कोई ज़रुरत नहीं लगती । क्योंकि
वो जिनसे सारे सवाल पूछे जाने चाहिए, यानी कि प्रधानमंत्री
, वो तो संसद में पूछे गए सवालों पर
मिमिक्री करते हैं , विषयांतर
करते रहते हैं..... और दूसरी ओर उनके चेले चपाटी कन्हैया से सवाल
जवाब करते हैं । अरे भई इतना ही जवाबदेह मानते हो कन्हैया को तो उसे ही
प्रधानमंत्री बना दो।
प्रधानमन्त्री तो
पठानकोट, हरियाणा,रोहित
मेहुला, जे एन यु, दादरी और
यहाँ तक कि नक्सली वारदातो पर एक शब्द भी नहीं कहते। राहुल
गांधी पर तंज कसते हैं , क्या इनकी सारी जवाबदेही राहुल
गांधी से ही है? जनता
के प्रति कुछ नहीं ? स्मृति इरानी के झूठ के पुलंदों
पर सत्यमेव जयते कहते हैं और जब झूठ का पर्दाफ़ाश होता है तो चुप्पी
साध लेते हैं । गृह मंत्री अपने राज्यमंत्री के भडकाऊ भाषण को खुद क्लीन चिट दे
देते हैं ।
कितने ही सवाल हैं जिसका जवाब वर्तमान सत्ताधारी पार्टी
को देने चाहिए, क्योंकि वह जनता द्वारा चुनी हुई
सरकार है जो जनता के प्रति जवाबदेह है ।
कन्हैया कौन है ? एक विश्वविद्यालय का अध्यक्ष ।
उसकी अपनी विचारधारा है । आप उससे सवाल पूछने वाले हैं कौन ? आप
उससे सहमत हों / असहमत हों ये आपका अधिकार है ,आपकी सोच है। दम है तो सरकार से
पूछें कि पिछले 18 महीनों में क्या किया ।मनमोहन सिंह को मौनमोहन कहने वाले खुद क्यों
चुप्पी साध लिए हैं ।
टैक्स पेयारों के सारे सवाल कन्हैया से ही क्यों / मोदी
से क्यों नहीं ?
मेहनतकशों की जमापूंजी के लाखों करोड़ कोर्पोरेटों को
देकर फिर डूबत में डाल देने वाले बैंकों को टैक्स पेयारों के 25000 करोड़ का अनुदान सरकार कैसे दे रही है ? ये
क्यों नहीं पूछते सो काल्ड टैक्स पेयर ?
और हां
बात बात पर 60
-70 साल का इतिहास न लायें
। आपको 30 साल बाद इसीलिए तो पूर्ण बहुमत दिया है जनता ने कि कुछ बदलाव लाओगे
। और वैसे भी हम , जो
आपके अनुसार देश की 65 फ्रतिशत आबादी, पिछले
25 साल की ही पीढ़ी हैं । इसमें 15 साल कांग्रेस ने राज किया तो 8 साल
आपके भी राज के हैं । हम इन्ही बरसों का जवाब मांगेंगे ।
सवाल तो हमको पूछना है ।
जवाब तो हमें चाहिए.....
बकौल शलभ श्रीराम.....
तसल्लियों के इतने साल बाद अपने हाल पर
निगाह डाल सोच और सोचकर सवाल कर
किधर गए वो वायदे सुखों के ख़्वाब क्या हुए
तुझे था जिनका इन्तज़ार वो जवाब क्या हुए
तू इनकी झूठी बात पर
ना और ऐतबार कर
के तुझको साँस-साँस का सही हिसाब चाहिए
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
नफ़स-नफ़स क़दम-क़दम बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए ( शलभ श्रीराम की
कविता के अंश)
बात निकलेगी तो दूरतलक जायेगी बिरादर.......
( जीवेश प्रभाकर)