पुस्तक चर्चा- पांसे और सपना मेरा यही सखी: राजेश जोशी
कवि राजेश जोशी के दो नाटकों का संग्रह सीधे-सीधे दोनों के नाम से छपा है- पांसे और सपना मेरा यही सखी नाटकों की प्रकृति के अनुसार दोनों में लोक की छौंक है। वैसे जिसने आल्हा-पंडवानी सुनी न होगी, उसके लिए यह जान पाना आसान नहीं; पर कहना होगा कि यह छौंक इतनी गाढ़ी है कि जाने बिना भी आस्वाद काफी जायकेदार होगा। लेकिन दूसरे में यह अंदर से उद्भुत है- कवयित्रियों में समाए हुए को उसी संसक्ति के साथ उजागर कर दिया गया है-....पूरा पढ़ें...
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