क्या संजय दत्त के लिए दिया गया निर्णय न्याय की अवमानना नहीं है ?
कोर्ट न्याय के लिए है या दया के लिए ?
यदि सुप्रीम कोर्ट ही दया याचिका पर सुनवाई करने लगे तो राष्ट्रपति क्या करेंगे ?
क्या किसी गरीब का स्वास्थ्य फिल्मों में लगे पैसों के सामने कोई अर्थ नहीं रखता ?
ऐसे कई प्रश्न उठ खड़े हुए हैं संजय दत्त के पक्ष में निर्णय आने के बाद......
क्या सुप्रीम कोर्ट द्वारा संजय दत्त को दी गई रियायत की हर तरह से समीक्षा ,
बहस और चर्चा नहीं होनी चाहिए ?
देखें कौन कौन चैनल इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट को कटघरे में खड़ा करते हैं ?
या सब 300 करोड़ बचाने की लीपापोती में लग जाते हैं...देखते रहिए
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