रेल भी बाजार के हवाले--प्रभाकर चौबे
सरकार जिस नई आर्थिक नीति के तहत देश को चलाने कटिबध्द है, उसी की छाया इस रेल बजट में भी है। इस परिप्रेक्ष्य में रेल बजट को समझने और परखने पर सरकार की मंशा साफ सामने आएगी कि वह किस तरह रेल सेवा को भी बाजार के हवाले करने जा रही है। आने वाले साल में रेल किराया तय करने अलग से रेगुलेटरी अथारटी नामक संगठन खड़ा कर दिया जाएगा और रेल किराया की जवाबदारी से भी सरकार छुट्टी पा लेगी। पूरा पढ़ें... www.vikalpvimarsh.in
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