www.vikalpvimarsh.in में आज अज्ञेय के जन्मजिवस पर पढ़ें उनकी एक रचना...
शरणदाता' - अज्ञेय
रंफीकुद्दीन का आश्वासन पाकर देविन्दरलाल रह गये। तब यह तय हुआ कि अगर खुदा न करे कोई खतरे की बात हुई ही, तो रंफीकुद्दीन उन्हें पहले खबर भी कर देंगे और हिंफाजत का इंतजाम भी कर देंगेचाहे जैसे हो। देविन्दरलाल की स्त्री तो कुछ दिन पहले ही जालन्धर मायके गयी हुई थी, उसे लिख दिया गया कि अभी न आये, वहीं रहे। रह गये देविन्दर और उनका पहाड़िया नौकर सन्तू। किन्तु यह व्यवस्था बहुत दिन नहीं चली। चौथे ही दिन सवेरे उठकर उन्होंने देखा, सन्तू भाग गया है।...पूरी पढ़ें..
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