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पॉल लाफ़ार्ज
मार्क्स की स्मृतियां
बहुत छोटी, मात्र 66 पृष्ठों की एक पुरानी पुस्तक अचानक हाथ लगी, सम्भवत: 1940 के आस-पास छपी होगी ।'मार्क्स के संस्मरण'। इसमें दो संस्मरण हैं । पहला पॉल लाफार्ज और दूसरी विलहेम लीबनेख्त का । लाफार्ज के संस्मरण से पता चलता है कि मार्क्स की एक बेटी से उनका विवाह हुआ था, लीबनेख्त भी मार्क्स के साथ रहे थे । ये संस्मरण मार्क्स की मृत्यु के तत्काल बाद ही लिखे हुए लगते हैं । यह पुस्तक अब हिन्दी में सामान्यत: नहीं दिखती । ये संस्मरण भी सम्भवत:उपलब्ध नहीं हैं । इन दोनों संस्मरणों में मार्क्स के अंतरंग जीवन के सर्वाधिक प्रामाणिक उल्लेख हैं ।......पूरा पढ़ें...
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