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शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

समकालीन विमर्श का एक महत्वपूर्ण पोर्टल


समकालीन विमर्श का एक महत्वपूर्ण पोर्टल

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समकालीन विमर्श का एक महत्वपूर्ण पोर्टल शुरु किया है जिसमें समसामयिक मुद्दों पर सार्थक नए आलेखों के साथ साथ विभिन्न माध्यमों में प्रकाशित स्तरीय आलेखों का साभार प्रकाशन  किया जाता है ।
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हिंदी की खातिर--गिरिराज किशोर
आज सब भारतीय भाषाएं संकट में हैं। मैकाले द्वारा रोपे अंग्रेजी के बिरवे को नेहरू जी ने हिंदी और भारतीय भाषाओं की अस्मिता की खाद देकर छतनार वृक्ष बना दिया! उसके साए में सब भारतीय भाषाएं अपने पत्ते झारने के लिए मजबूर हैं। आज दूसरी भाषाएं भी अंग्रेजी के आतंक से पीड़ित हैं। बाहर भले ही अंग्रेजी बोल कर खुश हो लेते हों, पर दिलों में यह आतंक व्याप्त है कि हमारी भाषा का क्या होगा। उनके बच्चे भी अंग्रेजी में बोलना सम्मान की बात समझते हैं। अगर हमें अपनी पहचान को जिंदा रखना है तो हमें टंडन जी, मैथिलीशरण गुप्त, निराला और न्यायमूर्ति प्रेमशंकर गुप्त जैसे समर्पित लोगों का अनुकरण करना होगा। ....
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