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सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

इस बार एक कविता
क्या गलत कह दिया---जसीम मोहम्मद
न्यायमूर्ति काटजू ने कोई नई बात नहींं कही। गुजरात जनसंहार में मोदी का हाथ होना कोई छिपा तथ्य नहींं है। न्यायमूर्ति काटजू ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए उक्त तथ्य को उजागर किया। गुजरात दंगों की वजह से बेघर हुए बहुत से लोगों की त्रासदी अभी खत्म नहींं हुई है। पिछले दिनों राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने राज्य के छियालीस में से सत्रह शरणार्थी शिविरों का दौरा करने के बाद कहा कि दंगा पीड़ित पांच हजार से अधिक परिवार आज भी अत्यंत अमानवीय परिस्थितियों में रहने को मजबूर हैं।........पूरा पढ़ें....
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