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मंगलवार, 26 मार्च 2013

होली मुबारक.....


होली मुबारक.............
नज़ीर अकबराबादी के बिना होली कैसे हो पूरी....

गुलज़ार खिलें हों परियों के और मजलिस की तैयारी हो
कपड़ों पर रंग के छीटों से खुश-रंग अज़ब गुलकारी हो
मुँह लाल, गुलाबी आँखें हो और हाथों में पिचकारी हो
उस रंग भरी पिचकारी को अंगिया पर तक कर मारी हो
सीनों से रंग ढलकते हों तब देख बहारें होली की
( नज़ीर अकबराबादी )

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